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दुनिया में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम सॉल्वर भारत में, रिसर्च में हुआ खुलासा

रिसर्च में सामने आया कि भारत में सबसे ज्यादा आम कार्यबल प्रॉब्लम सॉल्वरों का है

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कार्यस्थल पर अलग-अलग तरह के कर्मचारियों के साथ भारत एआई अपनाने के मामले में सबसे आगे खड़ा है, जिसे सबसे ज्यादा प्रॉब्लम सॉल्वर और एक्सप्रेशनिस्ट अपना रहे हैं। प्रॉब्लम सॉल्वर और एक्सप्रेशनिस्ट भारत में एआई एडॉप्शन का नेतृत्व कर रहे हैं।

वर्कप्लेस प्रोडक्टिविटी प्लेटफॉर्म स्लैक ने सोमवार यानि आज अपनी नई ग्लोबल रिसर्च के परिणाम जारी किए, इसमें भारत में कार्यस्थल पर काम करने वाले लोगों और टेक्नॉलॉजी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को अपनाने पर उनके प्रभाव का अध्ययन किया गया। यह यूगॉव सर्वे नौ बाजारों के 15,000 डेस्क कर्मचारियों पर किया गया, जिनमें 2000 कर्मचारी भारत से थे।

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रिसर्च में सामने आया कि भारत में सबसे ज्यादा आम कार्यबल प्रॉब्लम सॉल्वरों का है, जिसमें 23 प्रतिशत कार्यबल शामिल है। प्रॉब्लम सॉल्वर टेक और ऑटोमेशन में निपुणता रखते हैं, और एआई एवं कार्य की प्रक्रियाओं को स्ट्रीमलाईन करने के लिए अत्यधिक उत्साहित हैं। उनमें से 92 प्रतिशत अरली टेक एडॉप्टर हैं, और 77 प्रतिशत एआई की ओर उत्सुक हैं। अपने काम में एआई का उपयोग करने के लिए प्रॉब्लम सॉल्वर का उत्साह साफ नजर आता है। उनमें से 43 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए एआई का उपयोग करना चाहते हैं। रिसर्च में सामने आया कि ये लोग 54 प्रतिशत हैं, जो भारत में एआई के सबसे ज्यादा उपयोग में अपना योगदान देते हुए एक्सटर्नल टेक प्रशिक्षण चाहते हैं, इसके बाद 34 प्रतिशत के साथ सिंगापुर का स्थान है।

एक्सप्रेशनिस्ट के पास एक मजबूत विज़्युअल कम्युनिकेशन स्टाईल होता है, जो भारत के कार्यबल में 21 प्रतिशत हैं। वो एमोजी, जीआईएफ और मेमेज़ द्वारा कार्यस्थल के संवाद को कम औपचारिक और ज्यादा दिलचस्प बनाते हैं। विश्व में 72 प्रतिशत एक्सप्रेशनिस्ट संचार बढ़ाने के लिए इन विज़्युअल टूल्स का उपयोग करते हैं, जबकि ऐसे डेस्क कर्मियों की संख्या 29 प्रतिशत है। उनका मानना है कि कार्यस्थल का संचार मनोरंजक और दिलचस्प होना चाहिए, और वर्चुअल कनेक्शन स्थापित करने और अपेक्षा के अनुरूप संदेश पहुँचाने के लिए इन विज़्युअल एलिमेंट्स का उपयोग होना चाहिए। एक्सप्रेशनिस्ट का वर्चस्व दक्षिण कोरिया (15 प्रतिशत) और सिंगापुर (12 प्रतिशत) में भी है।

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दूसरी तरफ, भारत में डिटेक्टिव कम हैं। ये तफ्तीश करने वाले लोग अपनी जिज्ञासा और जानकारी साझा करने की प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं। डिटेक्टिव्स सुव्यवस्थित होते हैं, और 93 प्रतिशत स्वतंत्र रूप से समस्या को हल करना पसंद करते हैं। फ्रांस (38 प्रतिशत), ब्रिटेन (34 प्रतिशत), अमेरिका (33 प्रतिशत), और जर्मनी (33 प्रतिशत) में डिटेक्टिव्स की संख्या ज्यादा है, लेकिन भारत में ये केवल 16 प्रतिशत हैं। रिसर्च में सामने आया कि भारत में तुलनात्मक रूप से ज्यादा युवा कार्यबल है, क्योंकि डिटेक्टिव ज्यादा उम्र के कार्यबल में अधिक होते हैं।

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