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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले प्रतिक्रिया में उधयनिधि स्तालिन के बयानों पर कहा है कि इसका “उचित प्रतिक्रिया” की आवश्यकता है।
स्तालिन के बयान पर मोदी जी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री का यह जवाब उधयनिधि स्तालिन द्वारा किए गए बयान के एक दिन बाद आया, जिनमें उधयनिधि स्तालिन ने केंद्र सरकार की नई संसद के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण देने के बिना का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उदाहरण सनातन धर्म के प्रैक्टिशनर्स की भेदभावना का उदाहरण है।
मंत्री के बयान पर मोदी जी की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री एमके स्तालिन के पुत्र उधयनिधि स्तालिन ने अपनी यह टिप्पणी के लिए माफी मांगने से इनकार किया है, और कहा है कि सनातन धर्म को बीमारी के समान माना जाता है और उसे “मिटाया जाना चाहिए”।
मंत्री के बयान का परिणाम
उन्होंने बार-बार कहा है कि वह अपनी टिप्पणियों के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट्स हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए तमिलनाडु गवर्नर की मंजूरी प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है।
उधयनिधि स्तालिन के बयान का परिणाम
सप्ताहांत पर, उध्यनिधि स्तालिन ने अपनी टिप्पणी के साथ बड़ी उलझन को तंग किया कि “सनातन (धर्म) मलेरिया और डेंगू की तरह है, इसलिए इसे मिटाया जाना चाहिए और इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए”।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
यह सोशल मीडिया पर बड़ी प्रतिक्रिया को बढ़ा दिया और भाजपा को यह दावा करने के लिए प्रेरित किया कि यह “जनसंहति के लिए एक आवाज के समान है”, जिसका डीएमके नेता ने खंडन किया है।
चुनावी प्रभाव
यह टिप्पणी ने वर्ष के अंत में होने वाले राज्यों के चुनावों और आगामी साल के आम चुनाव के बाद कुछ विपक्षी ब्लॉक इंडिया के सहयोगियों को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
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