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विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में देश के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में जवाहर नवोदय विद्यालयों की एक विशेष पहचान है। देश के विभिन्न जिलों में फैले जवाहर नवोदय विद्यालयों का संचालन नवोदय विद्यालय समिति, मुख्यालय नोएडा तथा उसके क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से किया जाता है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, चंडीगढ़, पटना, पुणे, हैदराबाद, लखनऊ, जयपुर और शिलांग में अवस्थित हैं। नवोदय विद्यालय समिति, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्था है। नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी परिप्रेक्ष्य शैक्षिक योजना 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, इस समय देश भर में लगभग 650 जवाहर नवोदय विद्यालयों का संचालन हो रहा है। ये विद्यालय, ग्रामीण मेधावी छात्रों के लिए किसी ईश्वरीय वरदान से कम नहीं हैं। वे ग्रामीण मेधावी छात्र, जो आर्थिक विपन्नता की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं, उनके लिए जवाहर नवोदय विद्यालय से बेहतर कोई अन्य प्लेटफॉर्म नहीं है। जवाहर नवोदय विद्यालय सह-शैक्षिक आवासीय विद्यालय है, जहां छात्रों के सर्वांगीण विकास बल दिया जाता है। जवाहर नवोदय विद्यालय के शैक्षिक क्रियाकलापों में उपचारात्मक शिक्षण का समावेश, नवोदय विद्यालय समिति की एक विशेष पहल है। उपचारात्मक शिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक छात्र में कौशल या उसकी क्षमता में सुधार करना होता है। निदानात्मक तथ्यों के आकलन के उपरांत शिक्षकों द्वारा उपचारात्मक शिक्षण कार्य करना, वैसे छात्रों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होता है जो किसी कारणवश अपनी कक्षाओं में पिछड़ जाते हैं या जिन्हें शैक्षिक क्षेत्र में अतिरिक्त मदद की दरकार होती है। इतना तो स्पष्ट है कि प्रत्येक विद्यार्थी विशिष्ट होता है। विद्यार्थियों की क्षमताओं का आकलन करना तथा विभिन्न आधुनिक तकनीकों के सहारे उनके शैक्षिक स्तर को ऊंचा उठाना, प्रत्येक शिक्षक का दायित्व होता है।
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इस दिशा में जवाहर नवोदय विद्यालयों में किए जा रहे उपचारात्मक शिक्षण कार्य, वास्तव में काबिलेगौर है। यदि नवोदय विद्यालय सरीखे उपचारात्मक शिक्षण पद्धति का व्यवस्थित तरीके से क्रियान्वयन, देश के तमाम सरकारी तथा गैर-सरकारी विद्यालयों में भी किया जाए, तो शायद भविष्य में विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कारिक परिणाम नजर आएंगे। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम वैसे शैक्षिक संस्थानों की कार्यविधियों से सीखने का प्रयास करें, जो देश के नौनिहालों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें हरसंभव कोशिश करनी चाहिए कि कोई भी नौनिहाल, किसी भी परिस्थिति में शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार न हो। इस स्थिति में उपचारात्मक शिक्षण को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। उपचारात्मक शिक्षण पद्धति को सभी प्रकार के विद्यालयों में क्रियान्वित करने से पूर्व एक सुनियोजित योजना की जरूरत होगी, ताकि भविष्य में इसके अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सके। देश के सभी नौनिहालों के भविष्य को सजाना तथा संवारना, हमारा मुख्य ध्येय होना चाहिए। (ये लेखक के निजी विचार हैं।)
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डॉ. सुमन कुमार सिंह
अनुसंधान और प्रकाशन अधिकारी, नवोदय नेतृत्व संस्थान, कोणार्क, पुरी, ओडिशा
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