गिरिडीह में बचपन बचाओ आंदोलन को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला
14 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी प्रकार का काम कराना कानूनी जुर्म
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गिरिडीह: बचपन बचाओ आंदोलन और बाल संरक्षण के तहत गिरिडीह के न्यू समाहरणालय के सभाकक्ष में शनिवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। एक दिवसीय प्रशिक्षण में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अमित रेणू, डीएसपी संजय राणा और बीएमजी के वरीय निर्देशक ओम प्रकाश पाल, प्रशिक्षण की परियोजना समन्वयक कविता सुरभि, प्रशिक्षण की ही सहायक निर्देशक संगीता गौर और बाल संरक्षण स्पेशलिस्ट प्रीति श्रीवास्तव, स्टडी रिसर्च डॉक्टर श्यामला समेत जिले के कई पुलिस अधिकारी शामिल हुए। मौके पर संगीता गौर ने बच्चो को मिले मौलिक अधिकार की पूरी जानकारी अधिकारियों को देते हुए कहा की 14 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी प्रकार का काम कराना कानूनी जुर्म है। बचपन बचाओ आंदोलन का मकसद भी यही है की एक एक बच्चे का उसका मौलिक अधिकार हासिल हो सके।
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इस दौरान प्रीति श्रीवास्तव ने मौजूद अधिकारियों को बाल संरक्षण की जानकारी देते हुए कहा की हर माह एक बार हर वैसे फैक्ट्री की जांच होनी जरूरी है जहा लगता है की बच्चो से किसी तरह का उत्पादन कराया जा रहा है। वैसे भी उत्पादन किए जाने वाले किसी फैक्ट्री में बच्चो से काम कराने का कोई कानून नहीं है, इसके बाद भी कराया जा रहा है तो ये जुर्म है। प्रीति श्रीवास्तव ने यह भी बताया की 14 साल से अधिक उम्र के किशोर से अगर काम कराया भी जाता है तो उसके लिए कई कड़े नियम है, जिसमे पहला कि उस किशोर के लिए काम करने वाले स्थान पर हर सुविधा उपलब्ध हो। चार घंटे तक चले वर्कशॉप के दौरान जिले के अधिकारियो को कई और जानकारी दी गई. इस कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण अधिकारी अलका हेंब्रम, सदर एसडीपीओ अनिल सिंह, एसडीपीओ मुकेश महतो, नीति आयोग की सदस्य अंजली कुमारी समेत कई बीडीओ और अंचल अधिकारी शामिल हुए।
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