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हेमंत सोरेन ने  11406 बेरोजगारों को सौंपा नियुक्ति पत्र

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रांची। झारखंड सरकार की तरफ से मोरहाबादी मैदान में 11 हजार 406 बेरोजगारों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने रौशन राज, चंदन राम, गौरव पाल, बसंत कुमार, अभिजीत विश्वास, राजेश साहू, प्रीति साहू रामकृष्णा सिंह मुंडा, इंद्रजीत कुमार, बलबीर भुंईयां, उषा सोरेंग, खुशबू कुमारी समेत कई को सांकेतिक रूप से नियुक्ति पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मौके पर कहा हम अपने राज्य के होनहार नौजवानों को इस राज्य में कार्यरत निजी क्षेत्रों में सरकार के प्रयास से रोजगार उपलब्ध कराया है। ये कंपनियां झारखंड के बाहर भी हैं। रोजगार मेले के माध्यम से किसी को 35 हजार की नौकरी मिली। किसी को 15 हजार, किसी को 17 हजार, तो किसी को 18 हजार का रोजगार मिला। आज के बाद आपके पास कई और विकल्प भी मिलेंगे। अवसर भी मिलेंगे। आज इस कार्यक्रम के माध्यम से एक शुरूआत हुई है।

यह जीवन में अच्छे अवसर पाने का दरवाजा खुला है। हमारा यह प्रयास है कि राज्य के नौजवान जिनके पास हुनर की कोई कमी नहीं है, उनके नौकरी के माध्यम से चाहे स्वरोजगार तथा अन्य योजनाओं के माध्यम से उनकी आमदनी कैसे बढ़े यह प्रयास किये जा रहे हैं. ताकि उनकी आजीविका बढ़े। हमारे कार्यकाल को काफी करीब से देखा है. कोरोना काल में पूरी दुनिया रूक गयी थी, थम गयी थी, झारखंड भी थम गया था। झारखंड के कल कारखाने से लेकर सारे रोजगार के अवसर बंद हो गये थे। अभी हमलोगों ने चलना शुरू किया है. यह कारवां चलेगा. इसे रूकने नहीं देंगे। ग्रामीण आधारभुत संरचना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है, तभी राज्य का विकास होगा. राज्य सरकार जेपीएससी, यूपीएससी, इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी का सारा खर्च उठायेगी. इससे पढ़ाई नहीं रूकने दी जायेगी। पहले चरण में शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के लिए मॉडल स्कूल खोले जायेंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पिछड़े राज्य की श्रेणी में रखा गया है। यहां बेरोजगारी, किसान, गरीबी की लंबी फेहरिस्त है. कोरोना काल में हमने काफी संवेदनशीलता के साथ राज्य के लोगों की जान बचाने का प्रयास किया। केंद्र सरकार यह कह रही है कि हवाई चप्पल पहननेवाले हवाई जहाज में पढ़ें। हमने यह काम पहले ही कर दिया। कोरोना काल में हमने कई मजदूरों को हवाई जहाज से झारखंड लाया। कई राज्यों में फंसे मजदूरी करने गये झारखंडियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। हमने झारखंड में किसी भी तरह की अफरा-तफरी नहीं होने दी। सीमित संसाधनों में कई काम किये। यहां के लोगों को वैश्विक महामारी में कोरोना से बचाया। कई हमारा साथ छोड़ कर चले गये।

दो साल बिल्कुल ऐसा था कि कुछ भी करना मुश्किल दिख रहा था। मजदूर, किसान के लिए जब कोई काम नहीं था, हमने एक-एक झारखंडियों को राशन दिया, पैसे दिये। अब जीवन सामान्य हो रहा है। जीवन चक्र को चलाना है। हमारे मजदूरों के साथ दूसरी जगह बुरा बर्ताव किया जाता रहा है। यूक्रेन, मालदीव तथा अन्य जगहों से अपने लोगों को यहां लाया। करोड़ों रुपये खर्च कर मजदूरों और छात्रों को वापस लाने का काम किया।

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