हमीरपुर में मटर की बंपर पैदावार से कृषि विशेषज्ञ चिंतित
फसल चक्र पलट जाने से अगले साल होने वाले उत्पादन पर विशेष प्रभाव पड़ेगा
हमीरपुर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में 70 फीसदी किसानों ने सिर्फ मटर की फसल बो कर सभी को चौका दिया है, हालांकि कृषि विभाग किसानों के फैसले से चिंतित दिखायी पड़ रहा है कि फसल चक्र पलट जाने से अगले साल होने वाले उत्पादन पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कुरारा के कृषि बैज्ञानिक डा. एसपी सोनकर ने शुक्रवार को बताया कि जिले में रबी की फसल की बुआई का क्षेत्रफल तीन लाख हेक्टेयर है जिसमें 70 फीसदी किसानोंं ने केवल मटर की खेती को प्राथमिकता दी है जिससे जिले का फसल चक्र पूरी तरह गड़बड़ा गया है जबकि उत्पादन के लिये हर एक फसल का बोना अनिवार्य होता है मगर इस साल किसानोंं ने तकनीक ज्ञान और विभाग की कोई राय लिये बिना अपने तरीके से फसल बोयी है। किसानोंं का कहना है कि जो भी फसल अब तक बोते आ रहे है,उसमें उनको नुकसान होता आ रहा है। किसानोंं ने दलहन मे अरहर, चना, मसूर,तिल के अलावा गेहू,अलसी व सभी फसल को बोने के लिये पूरी तरह नकार दिया है। जिले के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसानोंं इतना बडा फैसला किया है। कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा में दलहन की सीड हब होने के बावजूद भी किसानों ने दहलनी व तिलहनी फसल में सिर्फ मटर की फसल की प्राथमिकता देकर अन्य फसलो को नकार दिया है।
बुंदेलखंड मे दालो के भाव ऊंचे होने की उम्मीद जतायी जा रही है। यहां तक कि बुन्देलखंड में मसूर की फसल अपनी पहचान बना चुकी है मगर धीरे धीरे यह फसल विलुप्त की ओर पहुंच रही है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बुन्देलखंड पूरे प्रदेश में दाल का कटोरा माना जाता है। सरकार को इस बात का विश्वास है कि उत्तर प्रदेश को केवल बुन्देलखंड ही दाल की आपूर्ति कर सकता है मगर यहां के किसानों ने इस साल शासन व कृषि विभाग के मंसूबो पर पानी फेर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष निरंजन सिह राजपूत ने बताया कि दलहन मे चना व मसूर की खेती करने पर उक्टा रोग पूरी फसल को चौपट कर देता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। यही नही मसूर का आईपीएल 16 नामक बीज कई सालो से किसान बोता आ रहा है मगर तकनीक खेती का दम भरने वाला केवीके कुरारा आज तक किसानोंं को मसूर का नया बीज नही दे पाया जिससे किसान ऊबकर मसूर फसल की तरफ से मुह मोड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कीटनाशक दवा की बात करे तो अब शासन ने विकास खंडवार कीटनाशक दवाएं स्टोर में बिक्री के लिये रखी है मगर हकीकत यह है कि इन स्टोरों में किसानों को जरुरतमंद कीटनाशक नही मिल पाती है,जिससे किसान की फसले कीट चट कर जाते है मगर कृषि विभाग इस ओर कोई ध्यान नही दे रहा है जिससे स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। इसी प्रकार अरहर की खेती में वही घिसा पिटा बीज बुन्देलखंड में कई सालों से बोया जा रहा है जिससे किसानों को सही उत्पादन न मिलने के कारण खेती में लगी पूजी भी नही निकल पा रही है। प्रगतिशील किसान सुरेश शुक्ला का तर्क है कि पिछले साल हरे मटर की फसल की कीमत 16 हजार रुपये प्रति कुंटल बिकी है जिससे अन्य फसलों की ओर से किसानों का मोह भंग हो गया है। किसानों ने बताया कि केबीके से जो बीज दिया जाता है। उसे फसल पैदा होने के बाद खरीदी नही जाती है यहां तक कि इस साल जो मटर का बीज बोने के लिये दिया गया था वह पूरी तरह घुना था जिससे किसानों ने जमकर हंगामा काटा था मगर इस मामले में उच्चाधिकारियों ने कोई कार्यवाही नही की है। इस मामले में कृषि विभाग के उपकृषि निदेशक जेएम श्रीवास्तव ने बताया कि मटर की खेती के लिये किसानों का रुझान बहुत तेजी से बढ़ा है। दलहन की फसल नही बोयी गयी है।