दिल्ली सरकार को SC का अल्टीमेटम, परियोजना के लिए पैसा दो वरना विज्ञापन बजट पर रोक
दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना के लिए पैसा नहीं देने से SC नाराज
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दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार मिली है. दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना यानि आरआरटीएस के मामले में सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट काफी नाराज है. इसपर सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने यदि एक हफ्ते के भीतर RRTS परियोजना के लिए पैसे नहीं दिए तो विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग दे देंगे.
दिल्ली सरकार से क्यों नाराज है सुप्रीम कोर्ट ?
मामला दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना से जुड़ा है. दिल्ली सरकार इस परियोजना के लिए अपने हिस्से का 415 करोड़ रुपये रिलीज नहीं कर रही है. जुलाई में इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर सरकार को फंड रिलीज करने का आदेश दिया था. तय समय सीमा गुजर जाने के बाद भी सरकार ने अबतक पैसा नहीं दिया है. इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट बेहद नाराज है.
दिल्ली सरकार की विज्ञापनों पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास विज्ञापनों पर खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन राष्ट्रीय परियोजना के लिए नहीं है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने केजरीवाल सरकार को एक हफ्ते की मोहलत देते हुए कहा कि यदि RRTS प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दिया गया तो विज्ञापन के फंड पर रोक लगा दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग दे देंगे. कोर्ट ने कहा कि , ‘ यदि ऐसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं और पैसा विज्ञापन पर जा रहा है, तोहमें कहना पड़ेगा कि पैसा इंफ्रास्टक्चर के लिए भेज दिया जाए.’ अब 28 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.
जुलाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिया था दो महीने का समय
दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना के लिए अपने हिस्से का पैसा न देने पर जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी. अदालत में दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए पैसा न होने की बात कही थी. इसपर अदालत ने पिछले तीन सालों के दौरान विज्ञापनों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा मांगा था.
सरकार ने जो ब्यौरा दिया उसके मुताबिक पिछले तीन साल का केजरीवाल सरकार का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ रुपये है. मौजूदा साल का विज्ञापन बजट 550 करोड़ है. 24 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार तीन सालों में विज्ञापन के लिए ₹1100 करोड़ आवंटित कर सकती है तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए फंड भी जरूरी है.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने में सरकार से पैसा देने को कहा था. सरकार ने ऐसा करने के लिए भरोसा भी दिलाया था परन्तु किया नहीं. इससे सुप्रीम कोर्ट बेहद नाराज है.
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