मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) मुखिया चौधरी जयंत सिंह गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के दफ्तर में बुलाई गई विपक्षी दलों की मीटिंग में शामिल हुए हैं। वहीं, जयंत ने गुरुवार को कहा कि वह 31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में होने वाली विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की बैठक में भाग लेंगे। चौधरी का यह बयान ऐसे समय आया है जब दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में वह शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद से उनके भविष्य के कदम के बारे में अटकलों का दौर शुरू हो गया।पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की पहली मीटिंग हुई थी, लेकिन जयंत मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। तब चर्चा चली थी कि जयंत की बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही है। कई दिन तक जयंत की चुप्पी ने सस्पेंस और बढ़ा दिया था। हालांकि बेंगलुरु में 17 जुलाई को विपक्षी दलों की बैठक पहुंचे थे। बाद में वह विपक्षी सांसदों के दल के साथ मणिपुर हिंसा का जायजा लेने भी पहुंचे। इसके बाद चर्चा पर विराम लग गया, लेकिन दो दिन पहले दिल्ली को अधिकार दिए जाने के बिल पर संसद में होने वाली वोटिंग से जयंत फिर दूर रहे। इसके बाद फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया। हालांकि पार्टी की तरफ से तर्क दिया गया था कि जयंत की पत्नी के ऑपरेशन होने के कारण वह संसद नहीं जा सके थे।
बीजेपी में जाने की थी अटकले
आरएलडी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद आरएलडी के बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने की अटकलें लगनी शुरू हो गई। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया है।
सीट हासिल करने का दबाव तो नहीं?
आरएलडी ने एसपी हाईकमान को एक पत्र लिखकर वेस्ट यूपी की जाट बहुल 12 लोकसभा की सीट पर दावा किया है। गठबंधन के बाद भी आरएलडी का इन सीटों पर दावा बरकरार है। जानकारों का कहना है कि बार-बार बीजेपी के करीब जाने की चर्चा को हवा देने के पीछे इन 12 सीटों पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
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