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कुशीनगर में जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर जीते निर्दल प्रत्याशियों की भूमिका महत्वपूर्ण

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कुशीनगर : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिला पंचायत सदस्य पद की तस्वीर साफ हो गई। कुल 61 में से 12 सीटें सपा के खाते में गईं, जबकि केवल छह सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं। इसके अलावा बसपा के चार, कांग्रेस के दो व अन्य छोटे दलों से भी चार उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं। सर्वाधिक 32 निर्दलीयों ने इस चुनाव में जीत हासिल कर अध्यक्ष पद के लिए अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया है।वैसे तो पंचायत चुनाव में राजनैतिक दलों के ंिसबल का प्रयोग नहीं होता है लेकिन इस बार दलों ने चुनाव लड़ने में बहुत रुचि दिखाई थी। भाजपा ने तो वार्डवार बैठकें कराई थीं। वहीं सपा ने सभी वार्ड के लिए प्रभारी नामित किया था। कांग्रेस व सपा ने भी टिकट आवंटन से लेकर प्रचार तक की रणनीति बनाई और प्रयास भी किया। लेकिन मतगणना के नतीजे इन दलों के लिए चौंकाने वाले रहे।भाजपा ने जिला पंचायत की सभी 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन केवल छह लोग ही जीत पाए हैं। इसके अलावा भाजपा व हियुवा के एक-एक बागी भी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। परंतु इनकी जीत भी पार्टी से अधिक व्यक्तिगत प्रभाव वाली रही हैं। इस मामले में सपा की स्थिति थोड़ी बेहतर है, क्यांकि पार्टी ने कुल 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 12 चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसके अलावा दो विजेता ऐसे हैं जिन्हें सपा का खेमा अपना ही मान रहा है। बसपा ने भी 40 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से पांच उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के केवल दो ही उम्मीदवार जीते हैं जबकि इस पार्टी ने भी चार दर्जन से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इस बार का चुनाव परिणाम भाजपा के लिहाज से इसलिए भी निराशाजनक है कि पार्टी ने वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में जिला पंचायत की 10 सीटों पर जीत हासिल किया था।इसके अलावा हियुवा के तीन पदाधिकारी भी चुनाव जीते थे। इसका ही असर रहा कि यूपी में वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा ने यहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी सपा से छीनकर अपने पाले में कर लिया था। परंतु इस बार के प्रदर्शन ने उसे उम्मीदवार उतारने लायक भी मौका नहीं दिया है।ऐसे में इस बार अध्यक्ष पद की कुर्सी का सारा दारोमदार निर्दलीयों के रूख पर होगा। जो दल या उम्मीदवार उन्हें अपने पाले में करने में सफल होगा, उसका ही कुर्सी पर कब्जा होगा। इसीलिए अभी से निर्दलीय उम्मीदवारों की पूछ बढ़ गई है।

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