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कुंडों के जीर्णोंद्धार से काशी को मिलेगा पुरातन स्वरूप

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वाराणसी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी को उसका पुरातन स्वरूप दिलाने का पुरजोर प्रयास कर रही योगी सरकार ने यहां धार्मिक महत्व के तालाब और कुंडो के भी जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है। सरकार का मानना है कि उसके इस काज से न सिर्फ सांस्कृतिक नगरी के प्राचीन स्वरूप को लौटाने में मदद मिलेगी बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार लाया जा सकेगा। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि काशी में जहां गंगा का धार्मिक महत्व है ,वहीं काशी के प्राचीन तालाबों-कुंडों का भी अपना विशेष महत्त्व है। भूजल प्रबंधन में तालाब व कुंड में संचित जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्व के सरकारों के ध्यान न देने से समय के साथ या तो तालाब पटते चले गए या इनकी दशा खराब होती चली गई। मौजूदा सरकार ने तालाबों की सुध ली है और अब इन तालाबों को नया जीवन मिल रहा हैं। उन्होने कहा कि काशी के प्राचीन तालाबों व कुंडों का विशेष धार्मिक महत्त्व है। वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र हों या शहरी इलाके सभी क्षेत्रों में तालाब व कुंड भूगर्भ जल की स्थिति सामान्य बनाये रखने में मदद करते है। जिसके चलते कभी काशी में जल का संकट नहीं गहराया। धार्मिक,पौराणिक व ऐतिहासिक मान्यता वाले तालाब व कुंड काशी के लगभग सभी इलाकों में है। पहले की सरकारें इन कुंडों -तालाबों का धार्मिक महत्त्व व नैसर्गिक गुण समझ नहीं पाई। जिसके चलते दिन पर दिन इनकी हालात बदतर होती चली गई। तालाबों में पानी की कमी होती चली गई। तालाब सूखते चले गए। तालाबों में लगी सीढ़ियां टूटती गई। कुंडों -तालाबों का सौंदर्यीकरण खत्म होता चला गया। काशी में कई कुंड व तालाब तो राजा महाराजाओं के द्वारा खुदवाया गया था । सूत्रों के अनुसार काशी के कुंडों व तालाबों की बनावट उसमे इस्तमाल होने वाली सामग्री ,सीढ़ियों ,उसके सौन्दर्याकरण को देख कर कहा जा सकता है ,की ये राजा -रजवाड़ों ,सेठ साहूकारो की शान रही होगी। जो किसी नेक मकसद के लिए बनाए गए थे। और ये जनमानस को कई तरह से लाभ पहुंचाते थे । योगी सरकार अब इन जल स्रोतों को एक बार फिर पुरानी रंगत में लाने लगी है। योगी सरकार चाहती है जिन धार्मिक व सामाजिक उद्देश्यों के लिए ये तालाब -कुंड बने थे ,उसकी सार्थकता दुबारा कयाम हो। जिससे पानी का संचय व जलस्तर भी भविष्य में बना रहे। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि 18 करोड़ की लागत से कुंडों व तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। जिसमें रीवा तालाब, पंचक्रोशी तालाब, कबीर प्राकट्य स्थल तालाब, बखरिया तालाब, पहड़िया तालाब, लक्ष्मी तालाब, कलहा तालाब एवं दूधिया तालाब है । इन सभी तालाबों का अपना विशेष महत्त्व हैं। उन प्राधिकरण ने अभी 8 तालाबों का जीर्णोंद्धार व सौदर्यीकरण कराया है। जबकि दो तालाबों पर काम तेजी से चल रहा है। सभी तालाबों व कुंडों को हेरिटेज लुक दिया गया है। तालाबों की टूटी व धंसी सीढ़ियों की जगह चुनार के पत्थर से बनी सीढ़ियां लगाई गई है। चुनार के गुलाबी पत्थरों से नक्काशीदार दीवारें बनाई गई है। राहगीरों के बैठने के लिए आरामदायक बेंच लगाई जा रही है। तालाबों के आस पास औषधि गुणों के साथ ही सुन्दर बगीचे डेवलप किये जा रहे है। कुंड व तालाबों में जमी गन्दगी को निकाल कर, साफ पानी भरा जारहा है। कुंडो में लोग गन्दगी न फेंके इसलिए जहां जरुरत है ,वहां ऊंची दीवार बनाई जा रही है। रैम्प का निर्माण किया जा रहा है। पाथ वे बनाए जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि तालाब व कुंडो के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्वों को संजोते हुए इनका विकास किया जा रहा है। इस बात का भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ,की किसी भी धरोहर का मूल स्वरुप न बिगड़ने पाए। इसी तर्ज पर वाराणसी के अन्य तालाबों को भी तराश कर खूबसूरत व उपयोगी बनाया जा रहा है ।

 

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