Live 7 TV
सनसनी नहीं, सटीक खबर

ईद पर फिलीस्तीन-इजरायल संघर्ष

- Sponsored -

अभय कुमार
रमजान के मुबारक महीने में फिलीस्तीन और इजरायल के बीच छिड़ा हिंसक संघर्ष अत्यंत दुखदायी है। ताजा संघर्ष की शुरूआत उस वक्त हुई जब येरूशलम में अल-अक्सा मसजिद के पास इजरायल के यहूदी राष्ट्रवादियों ने 1967 में मिली जीत पर येरुशलम डे मनाने के लिए मार्च निकालने का फैसला लिया। गौरतलब है कि 1967 में इजरायल ने येरूशलम के कई हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया था और वे हिस्से अभी तक इजरायल के ही कब्जे में हैं। यहूदी समुदाय के लोग इस दिन ओल्ड सिटी यानी पुराने शहर के चारों ओर मार्च निकालते हैं और इसके बीच में कई मुस्लिम बस्तियां भी आती हैं। अल-अक्सा मस्जिद इसी ओल्ड सिटी में स्थित है।फिलीस्तीनी संगठन हमास ने इजरायल को पहले ही आगाह कर दिया था कि वह सोमवार शाम 6 बजे तक अपनी पुलिस अल-अक्सा मस्जिद और शेख जराह से हटा ले। लेकिन इजरायल ने ऐसा नहीं किया, जिस पर गाजा पट्टी में सक्रिय हमास की ओर से येरुशलम पर हमला किया गया, बदले में इजरायल ने भी हिंसक कार्रवाई की और अब ये संघर्ष युद्ध का रूप लेता जा रहा है। दोनों ओर से जारी लड़ाई में कई मासूम लोग जान गंवा चुके हैं, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। पहली नजर में इस संघर्ष की शुरूआत हमास की ओर से की गई लगती है। हालांकि हमास को उकसाने का काम इजरायल की ओर से ही हुआ है।दरअसल ओल्ड सिटी में दमस्कस गेट के बाहर इजरायली पुलिस ने अप्रैल के मध्य में बैरिकेडिंग कर दी थी और फिलीस्तनियों के वहां एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी थी। इस बात पर जब तनाव बढ़ा तो बैरिकेडिंग हट गई, लेकिन फिलीस्तीनियों को उनके घर शेख जराह से हटाने की धमकी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। शेख जराह पुराने शहर की दीवारों के बाहर की जगह है जहां फिलीस्तीनी रहते हैं। इसकी जमीन और संपत्ति पर यहूदियों ने इजराइल की अदालतों में दावा कर रखा है। 1948 में फिलीस्तीन को बांटकर जब इजरायल का निर्माण किया गया, तब हजारों फिलीस्तीनियों को बेघर होना पड़ा, उनमें से 28 फिलीस्तीनी परिवार शेख जराह में आकर रहने लगे।1956 में पूर्वी येरूशलम पर जोर्डन का शासन था, और उस दौरान इन फिलीस्तीनियों को वहां मकान बनाने की इजाजत दी गई। लेकिन 1967 में इजरायल ने जोर्डन से यहां कब्जा हासिल कर लिया और उसके बाद से इजरायल की कोशिश है कि इन फिलीस्तीनियों को यहां से हटाया जाए। अब भी इजरायल ने ऐसी ही कोशिश की थी। पिछले हफ्ते रमजान के आखिरी जुमे के दिन बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी मुस्लिम मसजिद अल- अक्सा में इबादत के लिए इकठ्ठा हुए थे। तब फिलीस्तीनियों और इजरायली पुलिस के बीच इसी बात पर झड़प हुई थी। एक महत्वपूर्ण बात ये है कि अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम के लिए मक्का मदीना के बाद सबसे पवित्र स्थान है, ये मस्जिद टेम्पल माउंट के ऊपर है, जिसकी वेस्टर्न वॉल यहूदियों की सबसे पवित्र जगह है।लेकिन मसला सिर्फ धार्मिक होता तो सुलझाया भी जा सकता था। यहां सवाल इजरायल की नीयत का है। इजरायली सरकार बरसों से येरुशलम में यहूदियों की तादाद बढ़ाने की कोशिश में है। शहर के चारों ओर यहूदियों के लिए का$फी संख्या में घर बनाए गए हैं और आरोप है कि इजरायल ने इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन भी किया है। इस इलाके में रमजान के दिनों में इजरायली पुलिस की तैनाती बढ़ाना और मस्जिद में हथियारों का इस्तेमाल करना किसी नजरिए से सही नहीं है। हमास के हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने और अधिक ताकत के साथ जवाब देने की बात कही थी और अब वे वैसा ही कर भी रहे हैं। लेकिन शांति के लिए तरसते विश्व में यह अच्छा उदाहरण नहीं है। अगर नेतन्याहू ज्यादा ताकत का इस्तेमाल फिलीस्तनियों के साथ समझौता करने में करते तो उनके नेतृत्व की तारीफ होती।फिलीस्तीनी पहले ही कुछ शक्तिशाली देशों की ऐतिहासिक भूलों का नतीजा भुगत रहे हैं। लेकिन अब उस बात को 7 दशक बीत चुके हैं। दुख इस बात का है कि फिलीस्तीन-इजरायल संघर्ष को खत्म करने की जगह बढ़ाया जा रहा है। मौजूदा संघर्ष के बीच तुर्की, सऊदी अरब, पाकिस्तान, जैसे दुनिया के कई इस्लामिक देश फिलीस्तीन के साथ खड़े हैं, जबकि कई विकसित, संपन्न देश इजरायल के साथ हैं। दुनिया का इस तरह फिर से दो गुटों में बंटना विश्व शांति के लिए ठीक नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने शांति की अपील तो की है, लेकिन वो कितनी कारगर होगी, ये वक्त बताएगा। फिलहाल दुनिया को पं.नेहरू जैसे नेताओं की जरूरत है, जिनकी समझदारी और नीयत दोनों पर दुनिया यकीन करती थी। पं.नेहरू यूरोप में यहूदियों पर हुए अत्याचार के खिलाफ सख्ती से लिखते-बोलते रहे, लेकिन वे फिलीस्तीन के बंटवारे के पक्ष में नहीं थे। उनका कहना था कि फिलीस्तीन में अरबी सदियों से रह रहे हैं और जब एक यहूदी देश बनेगा तो उन्हें बेदखल होना पड़ेगा जो कि अन्यायपूर्ण होगा। आज इसी अन्याय का परिणाम दुनिया देख रही है।

Looks like you have blocked notifications!

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.