स्टार्टअप को गांवों तक पहुंचना चाहिए: धनखड

Live 7 Desk

नयी दिल्ली 17 फरवरी (लाइव 7) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्टार्टअप से गांवों तक पहुंचने का आह्वान करते हुए कहा है कि इससे एक स्थायी समाज विकसित करने में मदद मिलेगी और निश्चित रूप से पोषण संबंधी खाद्य मूल्य में वृद्धि होगी।
श्री धनखड़ ने सोमवार को पंजाब में मोहाली में राष्ट्रीय कृषि-खाद्य और जैव विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई) में उन्नत उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ए-ईएसडीपी) परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि कृषि और डेयरी उत्पादों में मूल्य वर्धन करने वाले सूक्ष्म उद्योगों से ग् ीण अर्थव्यवस्थाओं के पुनरुद्धार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “गांव या गांवों के समूह में एक ऐसी प्रणाली विकसित होनी चाहिए, जहां खेत में सूक्ष्म उद्योग हों, जो कृषि उपज में मूल्य वर्धन करें, जो उत्पादित पशुधन, उत्पादित दूध में मूल्य वर्धन करें।”
उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से एक स्थायी समाज विकसित करने में मदद मिलेगी और निश्चित रूप से पोषण संबंधी खाद्य मूल्य में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि आइसक्रीम, पनीर, मिठाइयाँ और इसी तरह की अन्य चीजें बनाने के लिए उद्यमशीलता कौशल रखने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार पैदा होगा और ग् ीण युवा संतुष्ट होंगे।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी को खेती के तरीकों में एकीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि द्वितीय और तृतीय शहरों में स्टार्टअप हैं। उन्हें अब गांवों तक पहुंचना होगा क्योंकि कृषि उपज अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। उद्योग के लिए कच्चा माल है। ग् ीण परिवेश में कृषि भूमि के करीब एक समूह विकसित होगा, तो अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा। उन्होंने किसानों से प्रौद्योगिकी में प्रगति और इसके लाभों के बारे में जानकारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नयी तकनीक पर्यावरण के अनुकूल, ईंधन कुशल और अत्यधिक सब्सिडी वाली है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा।
श्री धनखड़ ने कहा कि ग् ीण व्यवस्था राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करती है। विकसित भारत का रास्ता इसके गांवों से होकर गुजरता है। उन्होंने कहा कि कृषि उपज तब बेची जाती है जब यह किसानों का बाजार नहीं होता, यह खरीदारों का बाजार होता है। सरकार बड़े पैमाने पर भंडारण और सहकारी आंदोलन के माध्यम से भंडार को बनाए रखने की सुविधाएं देती है। सरकार की कृषि नीतियां किसानों की बहुत मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का कृषि विज्ञान केंद्रों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों के साथ सीधा संपर्क होना चाहिए।
सत्या,  
लाइव 7

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