‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ राष्ट्रीय-क्षेत्रीय विभाजन को पाट देगा: अन्नामलाई

Live 7 Desk

बेंगलुरु, 14 मार्च (लाइव 7) तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष के अन्नामलाई ने शुक्रवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ मॉडल के कार्यान्वयन की जोरदार वकालत करते हुए तर्क दिया कि यह क्षेत्रीय दलों को व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए मजबूर करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय चिंताओं से जुड़े रहें।
श्री अन्नामलाई ने यहां जैन विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “ एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में एक प्रमुख तर्क यह है कि यह क्षेत्रीय दलों को राष्ट्रीय और राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय रूप से सोचने के लिए मजबूर करेगा। भारत को अपनी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के साथ, एक ऐसे शासन मॉडल की आवश्यकता है जो राष्ट्रीय एकता को क्षेत्रीय आकांक्षाओं के साथ संतुलित करे। ”
उन्होंने जोर देकर कहा कि 1952 से 1967 तक एक साथ चुनाव सफलतापूर्वक आयोजित किए गए, जिससे 1967 से अशांति शुरू होने से पहले 15 साल तक राजनीतिक स्थिरता बनी रही, जिसकी परिणति 1970 में लोकसभा के समय से पहले भंग होने और 1971 में नये चुनाव के रूप में हुई।
श्री अन्नामलाई ने लगातार होने वाले चुनावों के लिए रसद संबंधी तनाव पर भी प्रकाश डाला, जिसमें हजारों सरकारी शिक्षकों, सुरक्षा कर्मियों और चुनाव अधिकारियों की तैनाती शामिल है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को दूरदराज के इलाकों में ले जाना, कभी-कभी हाथियों या पैदल, प्रक्रिया को और जटिल बनाता है।
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि समकालिक चुनावों पर चर्चा 1932 की फ्रैंचाइज़ कमेटी की रिपोर्ट से शुरू हुई और चुनाव आयोग, विधि आयोग और विभिन्न संसदीय समितियों द्वारा लगातार इसकी वकालत की गई है। देश के जटिल राजनीतिक परिदृश्य के साथ, चुनावी सुधारों पर बहस जारी है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सामंजस्य और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के बीच संतुलन बनाना है।
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